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Sunday 5 August 2012

बीवी की सहेली-1


बीवी की सहेली-1


प्रणाम पाठको,
आपका धन्यवाद कि आपने पढ़कर मुझे बेहद प्यार दिया। कई लोगों के मुझे ईमेल मिले, कुछ ने मुझे दुत्कारा भी कि मुझे शर्म आनी चाहिए कि अपनी साली की बेटी सोनिया को मसला।
भाई, मेरा क्या कसूर जब सोनिया खुद ही मजे लेना ही चाहती थी। मैं मर्द हूँ, एक धाकड़ मर्द जिसको भगवान् ने एक ज़बरदस्त लण्ड से नवाजा है, मैं अपने लण्ड पर गुमान नहीं करता लेकिन भगवन की दया से लड़कियों, औरतों की मुझे कमी रही ही नहीं, चाहे स्कूल में, कॉलेज में, शादीशुदा भाभियों की, भगवान की दया से मुझे हर उम्र की लड़की-औरत मिली है, मैं करूँ भी तो क्या करूँ, मेरे सामने कोई न कोई ऐसी चिकनी खड़ी हो जाती है जो मुझसे कई साल छोटी होती है, जितनी मेरी उम्र है उतना मैं लगता नहीं हूँ।
एक बार फिर से मैं एक नई सच्ची चुदाई का वर्णन कर रहा हूँ, माँ बेटी की चुदाई !

अंजू एक बेहद बेबाक सेक्सी चुदक्कड़ लड़की है, उसकी माँ संजना में अभी भी गज़ब का नशा है, पुरानी शराब हमेशा ज्यादा नशा देती है, वो एक बहुत ज़बरदस्त औरत है, मेरी पत्नी की सहेली है, उम्र में उससे बड़ी ज़रूर है लेकिन है गज़ब की ! संजना एक आग है। वो राण्ड है मतलब उसका खसम मर चुका है, उसकी दो बेटियाँ ही हैं निशा, और अंजू !
निशा काफी छोटी है।
शादी के बाद संजना आगरा चली गई थी पति के घर, उसके बाद उसकी मेरी पत्नी से फ़ोन पर बातें होती थी।
पति की मौत के बाद वो हमारे ही शहर में आ गई, उसका यहाँ कोई नहीं है, उसने हमारे घर के पास एक छोटा सा प्लॉट लिया, अपनी पत्नी के कहने पर हमने उनको ऊपर का पोर्शन रहने को दिया ताकि वहाँ रह कर वो अपना घर बनवा सके।
संजना की बेटी अंजू जवान हो रही थी, रसीली अम्बी थी वो, जिसकी फूट रही छाती को देख मेरा लण्ड खड़ा होने लगता था। छोटी सी उम्र में उसके विकसित हुए मम्मे देख मैं बहकने लगा था।
मैंने गीजर के पास एक छोटा सा कैमरा फिट किया ताकि दोनों माँ बेटी के नंगे बदन देख सकूँ।
पहले दिन संजना को नंगी देखा, उसका गज़ब का जिस्म था, जवान बेटी की माँ लगती नहीं थी वो ! रस भरे उसके मम्मे, बिना झांटों के चिकनी फुद्दी थी, गाण्ड के क्या कहने !
अगले दिन मैंने कैमरा फिर ऑन किया ! जब उसकी रेकॉर्डिंग देखी तो बिना मुठ मारे रहा नहीं गया।
हाय मैं मर जाऊँ ! अंजू ने मुझे हिला कर रख दिया, उसका गोरा बदन, मस्त गाण्ड-मम्मे थे। वो अचानक से बैठ कर अपने दाने को मसलने लगी, अपना हाथ जगन्नाथ वाला काम कर रही थी, जब उसका काम होने वाला था तो उसकी छाती फूलती, गाण्ड उठती, अजीब आवाजें निकाल निकाल कर उसने अपना मसला हल कर लिया।
संजना मुझसे काफी घुल मिल गई थी, मैं भी उसकी आँखों में आँखें डालने लगा था, उसकी नज़रों में अपने लिए वासना झलकती देखी, शायद वो अपनी सहेली के किये हुए एहसान के चलते उसके पति को खुश करना चाहती थी या उसका घर बन रहा था तो कुछ पैसे ऐंठना चाहती थी। पैसे की मेरे पास कमी है नहीं !
घर बनवाने की निगरानी भी उसने मुझ पर डाल दी थी, हम दोनों साथ भी वहाँ जाते थे, उसको सेक्सी मस्त वाला बाथरूम का शौक था, उसने मुझे बताया कि अंजू भी यही चाहती है घर में एक बाथरूम मस्त सा बने लेकिन पैसे की कमी की वजह से ऐसा करना मुश्किल था तो मैंने उसका सपना साकार किया, खुद की जेब से पैसे दिए ताकि आगे चलकर उसी सेक्सी बाथरूम में दोनों माँ बेटी के संग नज़ारे लूटे जायें।
अब मैं संजना को बहाने से छेड़ने लगा, कुछ देर हम बन रहे घर में काम देखते, फ़िर उसको बाज़ार ले जाता, गोलगप्पे खिलाता और उसके गोल गोल मम्मों को देखता।
मेरी बीवी अपने भाई की बेटी के लिए लड़का देखने गुड़गाँव गई हुई थी, एक दिन अंजू स्कूल गई हुई थी, मैं उसको कार में बिठा कर अकेला एक दुकान पर गया, आकर्षक सेक्सी ब्रा-पैंटी के दो सैट पैक करवाए, एक पर्ची पर लिख दिया कि इनको पहनकर मुझे ज़रूर दिखाना, इंतज़ार रहेगा।
उसको दिया तो बोली- यह क्या है?
मैंने कहा- एक तोहफ़ा है, इसको अकेले में खोलना प्लीज़, फिर बात करेंगे।
घर गए, वो अपने कमरे में चली गई।
मैंने बाथरूम में जाकर लण्ड को धोया, उसके कमरे की तरफ गया, उसने कुण्डी नहीं लगाई थी, उसकी पीठ दरवाज़े की तरफ थी, वो ब्रा की हुक बंद कर रही थी।
मैंने पीछे से उसको दबोच लिया, उसकी गर्दन पर चूमने लगा। वो बेकाबू होने लगी।
"कैसा लगा मेरा तोहफा?"
उसने शरमा कर मुँह नीचे कर लिया।
"और तुम मुझे दिखाने क्यूँ नहीं आई?"
बोली- हिम्मत नहीं कर पाई !
मैंने दरवाज़ा बंद किया, उसको बाँहों में उठाया, बिस्तर पर ले गया।
उसने ब्रा पहन ही ली थी, मैंने उतार दी, उसके कसे हुए मम्मों को चाटने लगा, वो भी गर्म होने लगी।
"जिस दिन से तुझे देखा है संजना, उसी दिन से मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है तुझे पाने के लिए !"
बोली- जीजाजी, मैं भी प्यासी औरत थी, इस घर में आई, आपको देखा तो फिर से मुझे एक मर्द की जरूरत लगने लगी लेकिन सहेली ने जो किया उसके बदले में उसके पति पर डोरे कैसे डालती?"
"मेरी जान, ऐसा क्यूँ सोचती थी?" यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने उसकी चिकनी फुद्दी पर हाथ फेरते हुए कहा।
वो एक विधवा थी, मुश्किल से मर्द का सुख भोगने को मिला था, उसने मेरा पजामा खोल दिया।
जैसे उसने अंडरवीयर खींचा, मेरा बड़ा मोटा सांवला लण्ड देख उसका मुँह खुला रह गया, मेरे लण्ड को मसलने के लिए पकड़ा तो पागल हो गई।
"क्या हुआ?"
"इतना बड़ा औज़ार? कैसे पाला है इस शेर को?" कह कर वो चूमने लगी।
"क्यूँ पहले कभी कोई लण्ड नहीं देखा?"
"इतना बड़ा नहीं लिया, ऐसा लण्ड ब्लू फिल्मों में ही देखा है।" वो सुपारे को चूसने लगी।
"चल एक साथ दोनों एक दूसरे को चूमते हैं !"
वो मान गई। मैंने उसकी फुद्दी को ऐसे मस्त अंदाज़ से चाटा कि लण्ड मुँह से निकाल कर बोली- जीजाजी, बेटी जवान हो चुकी है लेकिन सेक्स का सुख जिंदगी में इतने मस्त अंदाज़ में कभी नहीं उठाया।
मैंने उसको सीधा किया, टांगें उठाईम एकदम अपना लण्ड उसकी फुद्दी में घुसा दिया, उसकी चीख निकल गई। काफी अरसे से उसकी फुद्दी सूखी पड़ी थी।
"क्या हुआ? दो बेटियों की माँ है, फिर भी?"
"लण्ड काफी लिए हैं लेकिन बेटी के जवान हो जाने की वजह से चुदना कम कर दिया था वरिंदर जी।"
उस दोपहर मैंने संजना की सूखी जिंदगी को गीली कर दिया, उसने दो बार मेरे लण्ड के पानी को पिया।
उस दिन के बाद संजना खिली-खिली रहने लगी। हमने उसके बन रहे घर में स्टोर में सिंगल बैड लगा लिया। शाम को वहाँ जाते ही जाते थे, वो वहाँ मेरा लण्ड चूसती और फुद्दी मरवाती। संजना फिर से चुदक्कड़ हो गई थी।
कहानी जारी रहेगी।

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